राधा- कृष्ण ।।
वृन्दावन , चरवाह महल में
हम दोनों ही थे , याद है मुझे
राधा .. राधा .. बुलाने तक तुम
उम्मीद किया है मैंने, हरे कृष्ण
राधा, राधा, राधा
कृष्ण कृष्ण कृष्ण
पहले टिम टिम चमके आँखों को
बुझा दिया है क्या ?
नारंगी रंग के होंठों पे शब्दों को
छुपा लिया है क्या ?
लंबे समय के बाद आ गया
सुनहरा सूरज ,
मेरे अंदर में खुशी को
वह देख लिया है नज़र से
चमेली खिल और मुस्कुरा रही हैं
यह प्रेम कहानी का अर्थ कहलाते हैं
पूजा करूँगी मैं इसे ,
तेरे प्रेम की ओर
बार बार जन्मे लेते ,
तेरे संग ही हूँ ।।।
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बोल और धुन :
दुल्कान्ति समरसिंह
गायक गायिका :
ए. एल्. बी. कन्देपोल'जी
और
निरोषा विक्रमारच्चि
संगीत निर्देशक :
सैम विमलधर्म
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