कलम इसलिए तुम।

कलम इसलिए तुम ,
मेरे दिल की यादें 
शांत हो गई और 
दबा दिया है तुमने दिल  ।

रात बिता के,  नींद के बिना 
शोक ताप दूर करने में 
कभी कभी मन में 
विचारों को सजाने में 
बहुत थक गए रहते हुए 
दायाँ हाथ में मेरे  

कलम इसलिए तुम 
मेरे दिल की यादें 
शांत हो गई और 
दबा दिया है तुमने दिल ।।

तुम जो विचार ले कर 
किताब पर डाली गई 
आँसुओं के मोती 
कई मन को खुश के गीत 
गाना और बजाना सकेंगे 

कलम इसलिए तुम 
मेरे दिल की यादें 
शांत हो गई और 
दबा दिया है तुमने दिल  ।।।
दुल्कान्ति समरसिंह। 

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