शायरी ।।

मैं शायरी हूँ मुझे शायर ने बनाया है 
मैं शायरी हूँ मुझे गवैया ने साँस दिया है 
ओस के द्वारा फूल की पंखुड़ी 
सुन्दर होता है 
चाँदनी ढलते ही हर आँगन 
हसीने की तरह ही हैं 
तारे चमकते ही आसमान में 
स्वर्ग को याद आता है 
सारी सुन्दरता जुड़ कर के 
मुझे बनाया है 
रिश्ते बना देती हूँ मैं 
गाने की तरह भी आती हूँ मैं 
विस्मित करती हूँ लोगों को मैं 
एक परी की तरह हूँ मैं 
- दुल्कान्ति समरसिंह -
( यह कविता सृजन महोत्सव ब्लाॅग स्पोट में श्री राजकुमार जैन राजन जी और मच्छिंद्र भिसे जी द्वारा प्रकाशित की गई है।) 

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