हिन्दी है दिल हमारा।
हालाँकि मैं श्रीलंका में रहती हूँ , हिन्दी भाषा और साहित्य से बहुत प्यार करती हूँ। और हिन्दी रचना लिखने में मैं बहुत पसंद करती हूँ। " संगिनी " पत्रिका में मेरी कई रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। इतना ही नहीं, सृजन महोत्सव ब्लाॅग स्पोट में भी मेरी रचनाएं प्रकाशित हो रहे हैं। इससे मुझे और अधिक हिन्दी में लिखने की प्रेरणा मिली। " संगिनी " में सहसंपादक, राजकुमार जैन राजन जी ने मुझे हिन्दी लिखने में बहुत प्रोत्साहन दिया है । इससे आगे राजेन्द्र परदेसी जी , प्रदीप श्रीवास्तव जी और मच्छिंद्र भिसे जी, डा. उमेश चन्द्र श्रीवास्तव जी भी मुझे हिन्दी भाषा इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहन दिये हैं। तो मैं बहुत खुश हूँ।
हम अलंकृत कपड़ों पहनने के लिए, खूबसूरत तस्वीरों देखने के लिए तथा सुमधुर भाषण करने में और सुनने में भी बहुत पसंद करते हैं। हिन्दी तो अति सुन्दर भाषा है। हम श्रीलंका वाले हो कर, हिन्दी गाने सुनते रहे हैं। मतलब क्या है नहीं जानते हैं। इसलिए हिन्दी भाषा में मधुरता , हमें मतलब भूल जाता है।
सारी भाषाओं में किसी सुन्दरता है। लेकिन ऊपर लिखित सुन्दरता दिखाने के लिए हिन्दी भाषा की कोई बराबरी नहीं है। अगर किसी ने हिन्दी में जो कुछ उल्लेख किया है तो, यह भी एक कविता की तरह ही है। मधुर शब्द सुनते ही दिल मस्त हो जाता है। तब आदमी संवेदनशील हो जाता है। हिन्दी की तरह सुन्दर भाषा बोलने और सुनने से ये संसार मनोहर हो दिखाई पड़ता है।
और,
अच्छी भाषा है हिन्दी
सच्ची भाषा है हिन्दी
सुमधुर भाषा है हिन्दी
प्राण की तरह है हिन्दी ।।।
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