यादों के फूल।

अकेलेपन के फूल खिल के 
मेरे दिल के तालाब में हंस कर 
मुरझाएगा ,
जगह के बिना वेदी पर ।

खिले फूलों को चूम लूं 
इन की खुशबू भी पा कर लूँ 
तितलियों को नहीं देती हूँ 
प्राण की तरह मैं रखती हूँ  ।।

यादों की पगडंडी सजाते, 
मन में कहानी छिपाते 
आँखों में गीली सूखाये 
तार के स्वर द्वारा बजाये  ।।।
- दुल्कान्ति -

Comments

  1. बहुत ही सुंदर रचना

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    1. जी, हार्दिक आभार आपका।

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  2. ओके जी ,अवश्य। बहुत धन्यवाद।

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