वर्षा ऋतु।

तू ऋतुओं की रानी है 
किसानों की देवी है 
धरती की प्राण है , 
प्यास बुझने वाली है  ।

इंद्रदेव तेरे स्वामी है 
गर्मी तेरा दुश्मन है 
तन मन कोमल करती है 
सारी खुशियाँ तू ही है ।।

आषाढ़ , श्रावण में आती 
सुन्दर शीतल लगवाती 
मन में आनंद जगवाती 
तू ही है खुशी की मोती ।। 

खेलते बच्चे पानी में 
छत पर दिन भर खुशी से हूँ मैं 
हरा रंग हर आँखों में हैं 
जब तू है तो दुनिया में ।।

कितनी सुन्दर है जीवन 
यदि मेरे संग हो तो सावन 
लगती हरियाली पावन 
करती तू मेरा मन मोहन  ।।।


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